27 Thousand School Permanently Closed in UP :- गरीब छोटे बच्चों का भविष्य अंधेरे में उत्तर प्रदेश में बंद होंगे 27000 परिषदीय स्कूल

उत्तर प्रदेश में बंद होंगे 27000 परिषदीय स्कूल:-




यूपी में परिषदीय स्कूलों की संख्या लगभग 1.3 लाख है। यूपी सरकार प्रदेश के लगभग 27000 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय का विलय करना शुरू कर दिया है ऐसे स्कूल जिनमे नामांकन 50 से कम है उन विद्यालय को नजदीकी विद्यालयों में विलय किया जाएगा। बेसिक शिक्षा के अपर सचिव का आदेश जारी होते ही प्रदेश भर के विभिन्न शिक्षा संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। माना जा रहा है कि इस पूरी कवायत से प्रदेश में शिक्षकों के पदों की कटौती होगी और नई शिक्षक भर्ती पर संकट आ सकता है वैसे भी 2018 के बाद बेसिक में कोई शिक्षक भर्ती नहीं हुई है।

क्या पढ़ाई से वंचित रह जाएंगे बच्चे ?

उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालय की संख्या लगभग 1.32 लाख है जिनमें से प्रदेश सरकार लगभग 27000 स्कूल बंद करने की तैयारी में है। प्रदेश सरकार 50 से कम नामांकन वाले विद्यालयों का विलय नजदीकी स्कूलों में करेगी अब सोचने की बात यह है कि प्रदेश सरकार ने कहा कि नजदीक स्कूलों में विलय होगा वह स्कूल कितना नजदीक होगा 1 किलोमीटर, 2 किलोमीटर, या 3 से 4 किलोमीटर

प्रदेश सरकार का कहना है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पड़ोस के किसी स्कूल से मर्ज किया जाएगा। वहीं अगर किसी स्कूल के रास्ते में कोई नाल,नदी, हाईवे, रेलवे ट्रैक है तो ऐसे स्कूल भी मर्ज किए जाएंगे ऐसी स्थिति में छोटे बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे जहां रास्ते में नदी , नाला ,हाईवे, रेलवे ट्रैक होंगे क्योंकि ये बच्चे गरीब पिछड़े,दलित के बच्चे हैं जिनके अभिभावक दैनिक मजदूरी पर निर्भर रहते हैं ना तो वह बच्चों को स्कूल छोड़ सकते ना ही छुट्टी के बाद स्कूल से घर वापस ला सकते इसका परिणाम यह होगा कि यह गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाएंगे।


किस जिले में कितने स्कूलों का होगा विलय:-

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अकेले 445 प्राइमरी और अपर प्राइमरी विद्यालय का विलय होगा। जिन्हें मर्ज करने की कार्यवाही विभाग की तरफ से शुरू हो चुकी है। प्रदेश सरकार का कहना है कि जुलाई से इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे नजदीकी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करेंगे।

प्रदेश के दूसरे जिलों में भी यही कवायत शुरू हो चुकी है जहां सीतापुर में 287 स्कूलों का विलय नजदीकी विद्यालय में होगा। साथ ही सिद्धार्थनगर में 641 स्कूलों में 50 से कम नामांकन पाए गए हैं यह भी सभी स्कूल मर्ज किया जा सकते हैं।


उत्तर प्रदेश सरकार सभी स्कूल बंद नहीं करेगी:-

 राज्यमंत्री संदीप सिंह ने कहा कि हमने किसी भी विद्यालय को स्थायी रूप से पेयर नहीं किया है। अगर कहीं बैठने की असुविधा होगी या बच्चों की संख्या बढ़ेगी तो पुराने भवन में फिर से संचालन की व्यवस्था की जाएगी। सभी परिषदीय स्कूलों का यू डायस कोड यथावत रहेगा। जहां तक पेयरिंग की बात है तो यह बच्चों को बेहतर वातावरण और संसाधनों से जोड़ने की दिशा में एक ठोस पहल है। अत्यधिक कम नामांकन वाले विद्यालयों में बच्चों को शिक्षा का वास्तविक अनुभव नहीं मिल पाता। कक्षा में संवाद, पियर लर्निंग, समूह कार्य, खेलकूद, प्रोजेक्ट गतिविधियां जैसे जरूरी पहलू प्रभावित होते हैं। जब इन बच्चों को समेकित रूप से पर्याप्त नामांकन वाले विद्यालयों से जोड़ा जाता है, तो उन्हें शिक्षा का पूर्ण वातावरण मिल पाता है। बेहतर होगा शिक्षक-छात्र अनुपातः पेयरिंग की प्रक्रिया के माध्यम से प्रत्येक कक्षा के लिए शिक्षक की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी। शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर होगा

पेयरिंग के बाद रिक्त स्कूलों में शुरू होगी बाल वाटिका :-

 वर्तमान में चल रही विलय की प्रक्रिया के बाद खाली 7 से 8 हजार स्कूलों में 15 अगस्त से उत्तर प्रदेश सरकार बाल वाटिकाओं का संचालन शुरू करने जा रही है। सन 2026 तक सभी रिक्त स्कूलों में बाल वाटिकाएं शुरू हो जाएगी। सभी प्राथमिक व कंपोजिट विद्यालयों में छह वर्ष के बच्चों के लिए बाल वाटिका शुरू करने की तैयारी है। 2026 तक बेसिक शिक्षा विभाग अपने सभी प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में इसका संचालन करेगा। एनईपी के अनुसार प्राथमिक शिक्षा से पहले तीन से छह साल तक के बच्चों को पूर्व-प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य है। इसी के तहत सभी विद्यालयों में बाल वाटिका को तैयार किया जा रहा है।

 

 

 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ